Friday 2 May 2014

आधुनिक गाँव




गाँव आज भी गाँव ही  है ..
बस झोपड़ियाँ ही तो खो गयी है।!

पानी की कमी से मिट्टी की सौंधी खुशबु खो गयी है.….
पेड़ो की कमी से चौपालों की छाया खो गयी है। ।

हंसी ठिठोली तो वो ही है ,
बस बुराई की छौकन जरुरी हो गयी है !!

गाँव आज भी गाँव ही है..
बस प्यार की कमी हो गयी है.…

यहाँ  मोर और कोयल तो आज भी कुंकती  है.…
पर गाय रंभाना भूल गयी है !!

ये वो ही गाँव है
जहाँ मेरी ' अम्माजी ' खो गयी है. .

गाँव आज भी गाँव ही है…
बस झोपड़ियाँ ही तो खो गयी है

बच्चे तो यहाँ आज भी बहुत है
पर इनकी टोली खो गयी है
हंसी ठिठोली खो गयी है !!

गाँव आज भी गाँव ही  है ..
बस झोपड़ियाँ ही तो खो गयी है।!

                                                                                              अमित कुमार भारद्वाज  (अमि )
                                                                                                          9887978078 

Saturday 8 March 2014

खंड-खंड, अखंड भारत

हम लोग जो अपने आप को भारतीय कहते है .. अखंड भारत की कामना करते है ... हालाँकि वो अखंड भारत आज भारत में रहा नहीं है पर जो भारत आज भी भारत में है, क्या हम उस भारत कि रक्षा कर पा रहे है ...? 
नहीं , आज भी इस भारत में ऐसे भारतीय है जो पूर्वोत्तर के भारतीयो कि रक्षा तो नहीं कर पा रहे है परन्तु यदि वो अपने अलग देश कि मांग करते है तो उन्हें गाली देने से पीछे नहीं रहते है ... !

मै पूछना चाहता हूँ उन् लोगो से क्यों आज देश कि आज़ादी के 65 साल बाद भी हम पूर्वोत्तर भारतीयो को ये अहसास कराने में असमर्थ है कि वो भी भारतीय है ..
क्यों हम उन्हें भारतीय होने के बावजूद भी भारतीय नहीं मान पा रहे है ... क्यों आये दिन हमारे भारतीय भाइयो पर भारत में ही हमले होते है वो भी सिर्फ इसलिए कि वो भारत के ऐसे हिस्से से आते है जहा से वो काले भारतीयो से अलग दिखते है ...!
मै पूछना चाहूंगा ऐसे लोगो से कि क्या वो अपने बचपन में पढ़ा हुआ वो पाठ भी भूल गए जिसमे भारत को विविधताओ में एकता वाला देश बताया था ... या वो भूल गए है भारतीय संयुक्त परिवार कि व्यवस्थाओ को जिसमे एक माँ अपनी बहन कि बेटी से भी उतना ही प्यार करती है जितना अपनी बेटी से !! मुझे शर्म आती है आज ये पढ़ सुनके कि हमारे देश के एक हिस्से विशेष के लोगो को देश के ही अन्य हिस्सो के लोगो से जान का खतरा होने के कारण भारत में एक हेल्प लाइन चालू कि गयी है जिसमे पूर्वोत्तर के नागरिक देश के अन्य हिस्सो में जान को खतरा होने पर शिकायत कर सकेंगे ..!!

मित्रो आज हम हर बात के लिए सरकार को तो बड़ी जल्दी जिम्मेदार बता देते है पर क्या इस जिम्मेदारी थोपने के रिवाज़ के चलते हम अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच रहे है....???

अमित भारद्वाज
9887978078